मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, March 18, 2012
निरंतर कह रहा .......: यह कैसी परीक्षा है ?
निरंतर कह रहा .......: यह कैसी परीक्षा है ?: यह कैसी परीक्षा है जिस में शिष्य परीक्षक गुरु परीक्षार्थी है अनुभव की प्रतिष्ठा दांव पर है जिसने सिखाया वो अब गौण जिसने सीखा वो महान है स...
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