मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Saturday, February 11, 2012
निरंतर कह रहा .......: सशक्त कविता का जन्म
निरंतर कह रहा .......: सशक्त कविता का जन्म: जीवन की भट्टी में अनुभव की अग्नि में तपकर सत्य की कलम से शब्द जब आकार लेते तो सशक्त कविता का जन्म होता सच्चे मन से पढने वाले का जीवन न...
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