मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Friday, February 24, 2012
निरंतर कह रहा .......: क्षणिकाएं -14
निरंतर कह रहा .......: क्षणिकाएं -14: मध्यस्थ परमात्मा और इंसान के बीच पंडित मौलवी क्या उसे वाकई ज़रुरत किसी मध्यस्थ की मज़ाक लोग मज़ाक करना पसंद करते सह नहीं सकते मंजिल तक पह...
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