मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Friday, February 24, 2012
निरंतर कह रहा .......: क्षणिकाएं -15
निरंतर कह रहा .......: क्षणिकाएं -15: रोना हो रोना हो इंतज़ार करना हो ख्वाब देखना हो जागना हो परेशाँ रहना हो मोहब्बत कर लो इश्वर इश्वर संतुष्ट होता तो स्रष्टि की रचना नहीं करता...
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