मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Friday, April 20, 2012
निरंतर कह रहा .......: मन की कशमकश
निरंतर कह रहा .......: मन की कशमकश: मैं सोचता रहता हूँ मन की कशमकश कह नहीं पाता तुम भी सोचती रहती हो कह नहीं पाती हो हमारी खामोशी बीच की दूरियां बढ़ा रही है ना कहने की मजबू...
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