मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, April 17, 2012
निरंतर कह रहा .......: चाटुकारिता का तर्पण अर्पण
निरंतर कह रहा .......: चाटुकारिता का तर्पण अर्पण: जीवन में कष्ट और मृत्यु के भय से चाटुकारिता का तर्पण अर्पण इश्वर को याद करना व्यर्थ है इश्वर को पाना है तो उसे मन में बसाओ कथनी करनी में वि...
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