Tuesday, November 15, 2011

विश्वास


एक ऐसा शब्द जो हम निरंतर सुनते हैं ,
जिस के बिना मनुष्य का जीवन नहीं चलता,
विश्वास दो व्यक्तियों या व्यक्तियों के बीच
संबंधों की धुरी के सामान होता है.
संबंधों का बनना,बिगड़ना
परस्पर विश्वास पर ही निर्भर करता है.
विश्वास नहीं होता तो विश्वासघात भी नहीं होता .
ध्यान रखने योग्य प्रमुख बात है,
विश्वास कभी एक पक्षीय नहीं हो सकता.
सदा द्वीपक्षीय होता है.
विश्वास पाने के लिए विश्वास करना भी
उतना ही आवश्यक है,
साथ ही मर्यादाहीन,
अवांछनीय कार्यों और व्यवहार के लिए
किसी से विश्वास की अपेक्षा करना,
निरर्थक होता है.
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर
25-10-2011-26

4 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 21/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सदा said...

बहुत बढि़या।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

विश्वास दो व्यक्तियों या व्यक्तियों के बीच
संबंधों की धुरी के सामान होता है

बहुत सुन्दर चिंतन....
सादर बधाई...

Anju (Anu) Chaudhary said...

नई पुरी हलचल के माध्यम से आपके ब्लॉग तक आना हुआ ....
आपकी लेखनी पढ़ा का अच्छा लगा ......

सबकी निराशा की आस में , आशा हूँ मैं
विश्वासघात में ही छिपा ,उसका विश्वास हूँ मैं ||,,,,,अनु