मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Sunday, June 3, 2012
निरंतर कह रहा .......: घर की खामोशी
निरंतर कह रहा .......: घर की खामोशी: घर की खामोशी हर पल दिल को चीरने लगी आपस में कलह साफ़ दिखने लगी सुबह को ही शाम होने लगी एक दूसरे पर ऊंगली उठने लगी प...
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