Friday, December 2, 2011

पहल


टकराव को
समाप्त करना हो
आगे बढना हो
तो सुलह के लिए
खुले दिमाग से ,
आगे हो कर पहल करें
अन्यथा
टकराव और हठ से
होने वाले नुक्सान को
भुगतने के लिए
तैयार रहे
02-12-2011-44
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

2 comments:

रश्मि प्रभा... said...

pahal karna galat nahi...

सदा said...

बिल्‍कुल सही