मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Monday, March 18, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: बार बार समझाता हूँ
"निरंतर" की कलम से.....: बार बार समझाता हूँ: बार बार समझाता हूँ बार बार पूछता हूँ क्यों क्रोध करते हो बात बात में चिढते हो क्या धैर्य धीरज भूल गए सहनशीलता से भी रुष्ट हो गए ...
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