मेरा मन कुछ कहता है,
निरंतर मष्तिष्क को झंझोड़ता है,
विचारों के मंथन से नए विचार आते हैं ,
उनकी अभिव्यक्ती कर रहा हूँ,
आवश्यक नहीं है कि पाठक मेरे विचारों से सहमत हो(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, July 30, 2013
"निरंतर" की कलम से.....: परम्पराओं का संसार
"निरंतर" की कलम से.....: परम्पराओं का संसार: काल बदला समय बदला नहीं बदला तो परम्पराओं का संसार नहीं बदला सदियों से जंजीरों में जकड़ा मान्यताओं का ताला नहीं खुला जीना कितना भी द...
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