Saturday, December 31, 2011

बंधन


इंसान जन्म से ही 
बंधनों में बंध जाता 
चाहे सांसारिक हो 
चाहे परमात्मा का हो 
म्रत्यु से ही बंधन 
मुक्त होत़ा


31-12-2011-51

Tuesday, December 20, 2011

सुनी सुनायी बातें

सुनी सुनायी बातों पर
विश्वास नहीं करें
किसी के कहने भर से ,
बिना अच्छी तरह से जाने
किसी व्यक्ति के बारे में
अपने विचार ना बनाएं ,
क्या पता किसी ने
किस उद्देश्य से
किसी के बारे में कुछ कहा
कहीं व्यक्तिगत
इर्ष्या,द्वेष या मित्रतावश
तो आपको व्यक्ति के बारे में
नहीं कहा गया ?
इस बात का भी ध्यान रखें ,
इस का
मतलब ये भी नहीं कि ,
जिसने भी कहा
उसे शक की द्रष्टि से देखें,
किसने कहा
उस का भी ख्याल करें
20-12-2011-50
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

अच्छा समय

जीवन जैसे आये
उसे जियें
किस्मत को कोसने से
भला नहीं होता
ना ही अवांछित कार्य करें  
समय कभी एक सा
नहीं रहता
कर्म करें ,सब्र रखें
एक दिन अच्छा समय
अवश्य आयेगा
20-12-2011-49
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

Tuesday, December 13, 2011

ह्रदय और मष्तिष्क में सामंजस्य आवश्यक है


महत्वपूर्ण विषयों पर 
फैसला लेने के लिए 
ह्रदय और मष्तिष्क में 
सामंजस्य आवश्यक है 
केवल भावना या 
व्यवहारिक सोच से 
फैसला नहीं करना
चाहिए 
013-12-2011-48
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

निरंतर कह रहा .......: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा ,तूं इक मुसाफिर यहाँ

निरंतर कह रहा .......: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा ,तूं इक मुसाफिर यहाँ: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा तूं इक मुसाफिर यहाँ फिर क्यूं करता है तेरा मेरा देखता है सपने निरंतर रखता है इच्छाएं अपार पालता है बैर मन में...

Sunday, December 11, 2011

अनुकूलन,या समंजन


अनुकूलन,या समंजन
(Adjustment)
के लिए 
खुद को भी झुकना
पड़ता है  
011-12-2011-47
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

Wednesday, December 7, 2011

मन की शांती और चैन


अथाह धन भी
मन की शांती और चैन
नहीं खरीद सकता
07-12-2011-46
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

Sunday, December 4, 2011

जाने पहचाने रास्ते


जाने पहचाने
रास्ते पर चलना ही
श्रेयस्कर होता है
अनजाने रास्ते पर
चलने से ,
असफलता और
विपत्तियों
का डर रहता है
04-12-2011-45
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

सुख



शारीरिक ,मानसिक
सुख नहीं हो तो
सब व्यर्थ लगता
04-12-2011-44

डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

Friday, December 2, 2011

निरंतर कह रहा .......: सब चले जा रहे हैं

निरंतर कह रहा .......: सब चले जा रहे हैं: सब चले जा रहे हैं कुछ दौड़ रहे हैं कुछ धीमी चाल से चल रहे हैं कम ही हैं जो सामान्य गति से चल रहे हैं मगर चल सब रहे हैं मरीचिका के भ्रम में ...

पहल


टकराव को
समाप्त करना हो
आगे बढना हो
तो सुलह के लिए
खुले दिमाग से ,
आगे हो कर पहल करें
अन्यथा
टकराव और हठ से
होने वाले नुक्सान को
भुगतने के लिए
तैयार रहे
02-12-2011-44
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

Thursday, December 1, 2011

ग्लानि



 ग्लानि करनी हो तो
खुद के
गलत कृत्यों  से करो
01-12-2011-44
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर

क्या हम भी वही कर रहे हैं ,जो सब कर रहे हैं


क्या हम भी वही कर रहे हैं
जो सब कर रहे हैं ?
क्या हम भीड़ की तरफ जा रहे हैं ?
यह बहुत बड़ी समस्या है 
लोग बिना सोचे समझे 
समूह या भीड़  की तरफ चले जाते हैं ,
कई बार दौड़ तक लगाते हैं
केवल समूह का अनुसरण करना
या जो सब कर रहे हैं
करना ठीक नहीं होता,
मेरा मानना है,स्वयं को उस पर
चिंतन,मनन करना चाहिए ,
अच्छी तरह सोच विचार के पश्चात ही
समूह के साथ जाना चाहिए.
जैसा सब कर रहे वैसा करना चाहिए
अधिकतर समूह के निर्णय
बहुत कुछ उसके नेतृत्व पर
निर्भर भी करते हैं
भेड़ चाल इसी को कहते हैं.
मैंने कई बार लोगों को
बाद में पछताते देखा है 
01-12-2011-43
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर